संतदासजी महाराज की अनुभव वाणी - पद १
संतों सतगुरु भेद बताया , ताते राम निकट ही पाया।तप तीरथ कबहु नहीं कीन्हा, पढ्या न वेद पुराणा ।जत सत दोउ अजब कहत हैं , सो स्वपने नहीं जाण्या ।मूनी रह्या न दूधाहारी , मकर मास नहीं न्हाया ।सुर तैंतीसू एक राम बिन , सो कबहु नहीं ध्याया ।काशी गया न करवत लीन्ही , न गल्या हिंवाला माहीं ।जंत्र मन्त्र अरु नाटक चेटक , सो भी सीख्या नाही ।संजम किया न रैन नहीं जाग्या , करी न सेवा पूजा ।न कुछ गाया न कुछ बजाया , भरम न जाण्या दूजा ।राम नाम का अखंड ध्यान धर , अंतर प्रेम जगाया ।संतदस चढ़ि शून्य शिखर पर , इस विधि अलख लखाया ।
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Monday, 15 September 2014
संतदासजी महाराज की अनुभव वाणी - पद 1
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