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Tuesday, 9 September 2014

पितृ पक्ष

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पितृ पक्ष 8 सितंबर की दोपहर से 23 सितंबर तक............ 
सोमवार, 8 सितंबर की दोपहर से पूर्णिमा तिथि लग गई है और श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो गये है सोमवार, 23 सितंबर (अमावस्या) को यह पक्ष समाप्त होगा। इन तिथियों के संबंध में पंचांग भेद हो सकते हैं।  श्राद्ध पक्ष में पितर देवताओं के लिए विशेष धूप-ध्यान किया जाता है। इन दिनों खीर-पुड़ी बनाई जाती है, ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है और कंडे (उपले) जलाकर उस पर पितरों के लिए धूप अर्पित किया जाता है।  

श्रद्धा होना जरूरी है : - 

शास्त्रों में पितरों को देवताओं से भी उच्च कोटि का स्थान दिया गया है। उन्हें भूख नहीं लगती। केवल भूख की इच्छा होती है। अत: पितरों की अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही श्राद्ध किया जाता है। इसलिए श्रद्धा होना जरूरी है। ऐसा करने से पितर संतुष्ट होकर आयु, संतान, धन, स्वर्ग, मोक्ष प्रदान करते हैं।  

पितरों के प्रति कृतज्ञता का पर्व : - 

पितरों के प्रति श्रद्धा जाहिर करना एक तरह से उनके द्वारा हमारे लिए किए गए उपकारों का आभार व्यक्त करना है। श्राद्ध का समापन सर्वपितृ अमावस्या पर होता है। पितृ दोष, पितृ ऋण से मुक्ति और पितरों की शांति के लिए तर्पण, ब्रह्म भोज दान-दक्षिणा का विधान किया गया है। पुराणों की मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर परिजनों के द्वार पर तर्पण की कामना से आते हैं।  

पितरों की कृपा के बिना नहीं मिलती है लक्ष्मी कृपा..........  

शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन किया जाना चाहिए। यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न नहीं होंगे तो आपको महालक्ष्मी सहित अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त नहीं हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कड़ी मेहनत के बाद भी उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है और कार्यों में बाधाएं बढ़ जाती हैं। पितरों को तृप्त करने पर हमें सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं और सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं।  

श्राद्ध पक्ष 23 सितंबर तक, आप कर सकते हैं ये चार उपाय  

पहला उपाय : -  

श्राद्ध पक्ष में पूर्णिमा, अमावस्या या अपने पितरों की तिथि पर दोपहर बारह बजे यह उपाय करें। उपाय के अनुसार सबसे पहले मुख्य दरवाजे के बाहर साफ-सफाई करें। पूजन की थाली सजाएं। थाली में पूजन सामग्री के साथ ही गुड़ और घी भी विशेष रूप से रखें। इसके बाद दरवाजे के दोनों ओर एक-एक बड़ा दीपक रखें। उसमें गाय के गोबर से बने कंडें जलाएं, दोनों दीपों का पूजन करें। पूजन के बाद पितर देवताओं को याद करें और दोनों दीपों में सुलगते हुए कंडों पर गुड़-घी एक साथ मिलाकर पांच बार डाल दें। इससे पितृ तृप्त होते हैं। ध्यान रखें धूप देने से पहले कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाना चाहिए। इस उपाय से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस दौरान पितृ देवताओं के मंत्रों का जप भी किया जा सकता है।  

रोगों से मुक्ति के लिए पूर्णिमा और अमावस्या पर करें हनुमानजी का ये उपाय : -  

पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। जो व्यक्ति रोगी है, उसके कपड़े से थोड़ा सा धागा निकालकर रूई के साथ उसकी बत्ती बनाएं। एक मिट्टी का दीपक लें और उसमें घी भरें, रूई और धागे की बत्ती भी लगाएं। यह दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से रोगी जल्दी ही ठीक हो सकता है। यह उपाय मंगलवार और शनिवार को भी नियमित रूप से किया जाना चाहिए।  

ध्यान रखें, इस उपाय के साथ डॉक्टर्स द्वारा दिए जा रहे परामर्श का भी पालन करें। दवाइयां समय पर लेते रहें और स्वास्थ्य संबंधी सावधानी रखें।  

पीपल के पास करें ये उपाय : -  

यदि आप धन संबंधी परेशानियों को दूर करना चाहते हैं तो श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा और अमावस्या पर यह उपाय करें। उपाय के अनुसार आप किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं और अपने साथ जनेऊ और संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर जाएं। पीपल की पूजा करें और जनेऊ अर्पित करें। साथ ही, भगवान श्रीहरि के मंत्रों का जप करें या भगवान विष्णु का ध्यान करें। इसके बाद पीपल की परिक्रमा करते हुए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। इस उपाय से पितर देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं : -  

यदि आपसे संभव हो सके तो आप किसी ऐसे सरोवर या किसी ऐसे स्थान पर जाएं, जहां मछलियां हों। वहां जाते समय अपने साथ गेहूं के आटे की गोलियां बनाकर ले जाएं। सरोवर में मछलियों को आटे की गोलियां डालें। यह उपाय भी आपको पितर देवताओं के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की कृपा दिलाएगा। यह उपाय श्राद्ध पक्ष में विशेष पुण्य दिलवाता है, लेकिन यह उपाय समय-समय पर हमेशा करते रहना चाहिए।  

post credits:-- 

  Kusum Vijaywargiya

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